Saturday 8 November 2014

ज़िन्दगी रॉक्स ...!!!

ज़िन्दगी का खेल होता है ऐसे
बिन मौसम बरसात हो जैसे
पल भर में ये बदलती है ऐसे
धुप और छाए दिन में हो जैसे

कभी गम के आंसू टपकती है
तो कभी खुशियों की बारिश कर देती है
कभी निराशा की शाम करती है
तो कभी उम्मीदों की किरण बिखेरती है
कभी यारो से लडवा देती है
तो कभी नयी दोस्ती करवा देती है
कभी हम किसी का सहारा बनते है
तो कभी हमारे अपने ही छोर जाते है
कभी चीटियों के जैसे बिजी होते है
तो कभी मरीज के जैसे पड़े होते है
कभी कोई हमारा दिल तोड़ देता है
तो कभी कोई उसमे समां जाता है
कभी ज़िन्दगी रेगिस्तान की बंजर लगती है
तो कभी फूलो जैसे रंगीन हसी लगती है
कभी भगवन से रिश्ता तोडवा देती है
तो कभी उनसे जुड़ने को मजबूर कर देती है
कभी पापा की शान का कारण बनती है
तो कभी माँ के उदासी का राज बना देती है

पर कोई तो ज़िन्दगी के इस खेल में आएगा
मेरा हाथ थमेगा और कभी नहीं छोरेगा
मेरी हर बात सुनेगा मुझे समझेगा
वक़्त आने पर अपनी जान की बजी तक लगा देगा

वो मेरी अच्छाई की तारीफ़ भी करेगा
और बुरइयो पर मेरी वाट तक लगाएगा
कामयाबियो पर मेरी पार्टी भी लेगा
और हार पर जो जीतने को कहेगा

पर ज़िन्दगी को कोई समझ नहीं है पाया
और किस्मत ने मेहनत को हरा कब है पाया
फिर भी ये ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी है
और इसे जीना तो हमें ही है ...

Saturday 1 November 2014

dedicated to Vinay Prasad !! happy birthday yar !!

कुत्ता,कमीना और सनकी है तू
कमरे में न घुसने देता है तू
लाख पाबंदियां लगता है तू
पर फिर भी यारों का यार है तू
आवारा,आलसी और हरामी है तू
किसी का दर्द न समझता है तू
बस लेता और कुछ न देता है तू
पर रह दिखने में आगे है तू
अशिष्ट,अभद्र और स्वार्थी है तू
डेप का असली मग्गू है तू
प्रोफ को नचा देता है तू
पास दोस्तों का भला भी करता है तू
चोर,गुंडा और शिकारी है तू
किसी के प्यार में दीवाना है तू
रातों की नींदे चुराता है तू
दिलों जान भी उसपर छिड़कता है तू

Wednesday 29 October 2014

उलझन !!

ज़िन्दगी बहुत अजीब है,कब क्या कर दे कुछ मालूम ही नहीं होता.हम किसी की पीछे भागते है और वो किसी और के पीछे.सोचता हूँ की भागना ही बंद कर दूँ.जो मिलना होगा मिल जायेगा पर फिर ज़िन्दगी कुछ ऐसा क्यों करती है जो हममे भागने पर मज़बूर कर देता है.किसी के पास समय नहीं होता तो किसी के पास इरादा.पर हकीकत ये है की अगर हम उन चीज़ों पर अपना ध्यान केंद्रित करें जो हमारे पास है और उन लोगों से तुलना करें जिनके पास कुछ भी नहीं है तो हम खुद तो ज्यादा खुशनसीब पाएंगे.सच में कभी कभी तो समझ में नहीं आता है की करना क्या है.बिलकुल ठंढे पड़ जाते है.मेरे हिसाब से हमे कुछ चीज़ों को वक़्त और ईश्वर पे छोड़ देना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए.मै भी अभी कुछ इसी तरह की परिस्थिति में हूँ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है की ज़िन्दगी के इस खेल में क्या भूमिका निभाऊ,ज़िन्दगी के इस होली में रंगों से भींग जाऊ या फिर कही जाकर छुप जाऊ या फिर सिर्फ आगे बढू यह मान कर की जो होगा अच्छा ही होगा.वैसे तो मैंने अपने दोस्तों की भी सहायता ली पर सब कुछ व्यर्थ रहा.जैसा की मैंने पहले भी कहा है की ज़िन्दगी एक सागर के सामान है और हम एक नाव की भांति और इस लम्बे सफर में कुछ फैसले हमें ही करने होते है चाहे वो सही हो या गलत,पर फैसले हमें ही लेने होते है.क्या होगा ज्यादा से ज्यादा हम गिर जायेंगे हमें चोट लगेगी,पर मुझे विश्वास है ज़िन्दगी पर अगर ये एक द्वार बंद करेगी तो दूसरा भी ज़रूर खोलेगी.

Saturday 25 October 2014

मेरे पड़ोसी !!

यहाँ तीन साल में मुझे तरह तरह के पड़ोसी मिले,कुछ ज्यादा ही मस्ती मज़ाक करते थे तो कुछ हाल चाल पूछने तक नहीं आते.पहले वर्ष में मेरे पड़ोसी ऐसे थे जिनकी कहानियां सुनते लोग लोट पोट हो जाएँ,वही दूसरे तरफ शौचालय होने के कारण दूसरे पड़ोसी का नसीब मुझे हासिल नहीं हुआ.दूसरे वर्ष एक और ठीक थक लोग थे जो समय समय पर काम से काम टाइम पास करने में मदद कर दिया करते थे और पहले वर्ष की ही तरह मेरे दूसरी तरफ सीनियर्स रहते थे जिन्हे हॉल से कोई मतलब नहीं था तो हमारा भी उसने कोई मतलब नहीं था,पर मेरे हिसाब से दूसरा पड़ोसी शौचालय ही ठीक था जिसे हम रोज़ कम से कम काम में तो लाया करते थे.
अब बात करते है वर्त्तमान की.ऐसा कहा जाता है की हम अपने दोस्त चुन सकते है पर पड़ोसी नहीं,पर मैंने अपने पड़ोसियों को चुना था और उनके लिए रूम तक झाप के रखा था,वो बात अलग है की बहुत कोशिशों के बाद उससे पार्टी निकलवाने में मैं सफल रहा.खुद के डिपार्टमेंट का बन्दा होने,पढाई में अव्वल और अच्छी दोस्ती होने के कारण मैंने उसे रूम तो दिलाने में मदद कर दी पर अभी के हालात कुछ अलग ही है.अभी ऐसा हो चूका है की वो रूम से न तो बाहर आता है और न ही किसी को रूम में घुसने देता.अगर कोई गलती से अंदर आ भी गया तो उसके हज़ार नखरे.इधर मत बैठो,इसे मत छुओ,ये मत करो-वो मत करो.लोग कितने स्वार्थी हो जाते है कभी कभी,पर स्वार्थी होना भी अच्छा है,जरूरत है तो एक सीमा की.
अब बात करते है दूसरे पड़ोसी की,हालाँकि उसे भी मैंने ही चुना था अपने पड़ोसी के रूप में.पर उसकी दुल्हन तो कोई और निकली.उसकी दुल्हन मगाई है.सिंगल रूम का सही इस्तेमाल तो सही मायने में वही कर रहा.दिन भर रूम में बंद और लैपटॉप में  उलझा रहता पढ़ने के लिए और खाली वक़्त में अंग्रेजी गाने उसका मन बहलाने का काम करते है.कभी कभी तो दिनों तक मैं उसका चेहरा भी नहीं देख पाता.
कभी कभी लगता है की मैंने खुद अपने हाथों से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है,पता नहीं अगर मुझे कुछ हुआ तो वो रूम से बहार भी निकलेंगे या नहीं.पर जो भी हो वो दिल से अच्छे है.मेरी कठिनाइयों में मेरे साथ रहेंगे ऐसा मैं उम्मीद करता हूँ,पर कभी कभी उम्मीदें ही इंसान को डूबा जाती है.

Saturday 18 October 2014

नाव और ज़िन्दगी !!

ज़िन्दगी एक सरिता की तरह है और हम उसमे तैरने वाले नाव.मुझे हमारा जीवन चक्र इस नौका के सफर के सामान प्रतीत होता है.जिस तरह एक नाव अकेला अपना सफर तय करता है उसी की भांति हम भी अपना जीवन काल अकेले ही व्यतीत करते है.हमारा न कोई होता है और न हम किसी के.दो पल के लिए अगर कोई साथ भी आता है तो एक ओर जहाँ उसके आने का ख़ुशी ओर उमंग होता है वहीँ किसी दिल के कोने में उसके बिछड़ने का डर भी.दोस्त प्यार माँ बाप सब उस नाव के सफर में रंग भरने के लिए प्रकट होते है अपनी भूमिका निभाते है ओर समय आने पर विलुप्त हो जाते है.इस नौके का सफर कोई आसान नहीं होता,शायद हमारे ज़िन्दगी से कम तो कदापि नहीं.इसे भी अपने सफर में कई सारे तूफानों का सामना करना पड़ता है,कभी हवाएँ साथ नहीं देती तो कभी वायु अपना रुख बदल लेती,पर फिर भी ये नाव अपने मुकाम तक पहुचने में सफल हो ही जाती.  
हमें भी इससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना होगा.छोटे मोटे बरसात में भीगने से न डरकर उसका मुकाबला करना होगा उसका लुफ्त उठाना पड़ेगा.एक बात और कभी कभी वक़्त सागर की तरह सुनसान और शांत होगा और हम उसमे अकेले खड़े होंगे,वो हमें काटने को भी दौड़ेगा पर हमें उसे शांति से ग्रहण करना होगा,उसे समझना होगा.तभी इस सफर का मज़ा हम ले पाएंगे,इस विशाल रुपी सागर में जीवन गुजार पाएंगे. 

Wednesday 8 October 2014

पवन का एक झोका !!

तुम अगर जो नदी हो तो मैं भी पवन का एक झोका हूँ ,जो जाने अनजाने में तुम्हारे साथ रहता है या रहेगा,हर पल हर दम चाहे तुम मुझे महसूस करो या नहीं पर मैं हूँ तुम्हारे पास,तुम्हारे साथ हूँ.
तुम जब हिलोरें लेती हो तो वो मैं ही होता हूँ जो तुम्हे सफल बनता हूँ करता,तुम्हे आगे भेजता हूँ. तुम्हारे अंदर जो जीव जंतु और भिन्न भिन्न प्रकार के पोधें पनप रहें है,जो साँस ले रहे है उनका कारण भी मैं हूँ,मैं तुममे ही समाया हुआ हूँ,तुम मानो या न मानो,पर मैं हूँ तुम्हारे पास तुम्हारे साथ.
ज़रा सोचो खुद को मुझसे अलग कर के,क्या तुममे जीवन रहेगा?क्या तुम मुझसे टूट कर रह सकोगी,यहाँ तक की हम दोनों एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं,तुम खुद से अगर ऑक्सीजन निकल दो तो बस मेरे ही दो रूप रह जाते हैं.
मैं यह चाह कर भी मना नहीं कर सकता की तुम मुझमे समायी न हो
मैं तो एक अभिश्राप ही हूँ,मैं किसी को न तो दिख सकता हूँ न तो कोई मुझे छु सकता है जो कम से कम तुम्हारे साथ तो नहीं है.वो तो एक तुम ही हो जो मुझे जीने का वरदान देती है.तुम ही देखो न अगर जो तुम मुझमे न हो तो मैं क्या हूँ,गरम हवा जिसे लोग लू कहकर कलंकित करते है.मैं क्या करूँ,इसमें मेरी कोई गलती नहीं है,तुम ही मुझसे रूठ कर चली जाती हो,मुझे अकेला छोड़ देती हो.
पर गर जो वहीँ तुम मेरे साथ होती हो तो मैं ठंढे पवन का झोंका बन जाता हूँ जिसे लोग खूब प्यार करते है और स्वीकारते हैं और जब तुम मुझे अपने गले लगा लेती हो,जब ज्यादा ही प्यार कर बैठती हो तब तो लोग झूम उठते है और वो ऐसा क्यों न करे उन्हें बारिश की फुहारें जो मिल रही होती है.
इसलिए अंततः तुम मेरे साथ रहना,मुझे समझना,मेरी खामियों को स्वीकारना और मेरी अच्छाइयों को और अच्छा करने का प्रयास करना.हम दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे है,मैं आधा तुम्हारे बिना और तुम आधी मेरी बिना.

Monday 22 September 2014

तुम !!

तुम एक नदी की तरह हो जो न कभी रुकने का नाम लेती है,न कभी थमने का,बस मीलों दूर बहना चाहती है.रास्ते में चाहे कितना विशाल पर्वत ही क्यों न आ जाये तुम बाज़ नहीं आती,उसे भी चीर कर अपने रास्ता बना लेती हो.राह में न जाने कितनों को अपने प्यार से भिगोई अमृत पिलाती हो,उनकी प्यास बुझती हो.कभी किसी की मदद करने से नहीं कतराती,यहाँ तक की भूले पथिक को भी खुद मद्धम होकर रास्ता पार कराती.लोग तुम्हें चाहे कितनी भी पीड़ा दे दे,तुम्हें चाहे कितना भी विषाक्त क्यों न कर दे,तुम अपना रंग नहीं बदलती,हँसकर  इठलाती हुई बस उस दर्द को खुद में समेट लेती हो.
पर तुम्हारा दर्द कौन समझेगा..शायद सागर जो तुम्हें खुद में विलीन करने के इंतज़ार में कब से शांत बैठा हुआ है.तुम्हारा हर दर्द.तुम्हारा हर घाव भरने के लिए आतुर है,सारे रंग रंगीले फूलों को तुमसे मिलवाने के लिए सपने सजा रखे है.उसे इंतज़ार है तो बस तुम्हारा..
तुम बस बहती रहना,बिना किसी चिंता के,क्युकी कोई है जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है,तुमसे मिलने के लिए,तुम्हें खुद के रंग में रंगने के लिए,तुम्हें प्यार करने के लिए,तुम्हें खुद से जोड़ने के लिए.बस तुम थकना नहीं,खुद पर विश्वास रखना और बहती चली जाना..बस बहती चली जाना...

Wednesday 17 September 2014

Quotes within my Life :)


  • no Gains without Pains
  • No hurting to anyone! Everyone is child of God and it's like hurting God !!
  • true love lasts long !there's no arrogance,no self respect and no ego.it's about how much value they give to each other,it's just two people loving each other endlessly.
  • there's always a reason behind every thing Which happens in our life! Don't find the reason But start accepting that thing.
  • Work is worshp.

Tuesday 16 September 2014

ज़िन्दगी रॉक्स ...!!!

ज़िन्दगी  का  खेल  होता  है   ऐसे
बिन  मौसम  बरसात  हो  जैसे
पल  भर   में  ये  बदलती  है  ऐसे
धुप  और  छाए   दिन  में  हो  जैसे

कभी  गम  के  आंसू  टपकती  है
तो  कभी  खुशियों   की  बारिश  कर  देती है
कभी  निराशा  की  शाम  करती  है
तो  कभी  उम्मीदों  की  किरण  बिखेरती  है
कभी  यारो  से  लडवा  देती  है
तो  कभी  नयी  दोस्ती  करवा  देती  है
कभी  हम  किसी  का  सहारा  बनते  है
तो  कभी  हमारे  अपने  ही  छोर  जाते  है
कभी  चीटियों  के  जैसे  बिजी  होते  है
तो  कभी  मरीज  के  जैसे  पड़े  होते  है
कभी  कोई  हमारा  दिल  तोड़  देता  है
तो  कभी  कोई  उसमे समां जाता  है
कभी  ज़िन्दगी  रेगिस्तान  की  बंजर  लगती  है
तो  कभी  फूलो  जैसे  रंगीन  हसी  लगती  है
कभी  भगवन  से  रिश्ता  तोडवा  देती  है
तो  कभी  उनसे  जुड़ने  को  मजबूर  कर  देती  है
कभी  पापा  की  शान  का  कारण  बनती  है
तो  कभी  माँ  के  उदासी  का  राज  बना  देती  है

पर  कोई  तो  ज़िन्दगी  के  इस  खेल  में  आएगा
मेरा  हाथ  थमेगा  और  कभी  नहीं   छोरेगा
मेरी  हर  बात  सुनेगा  मुझे  समझेगा
वक़्त  आने  पर  अपनी  जान  की  बजी  तक  लगा  देगा

वो  मेरी  अच्छाई  की  तारीफ़  भी  करेगा
और  बुरइयो  पर   मेरी  वाट  तक  लगाएगा
कामयाबियो  पर   मेरी  पार्टी  भी  लेगा
और  हार  पर   जो  जीतने  को  कहेगा

पर  ज़िन्दगी  के  इस  खेल  को  कोई  समाज  नहीं   है पाया
और  किस्मत  ने  मेहनत को  हरा  कब  है  पाया
फिर  भी ये  ज़िन्दगी  तो  ज़िन्दगी  है
और  इसे  जीना  तो  हमें  ही  है ...



IIT खड़गपुर !!

सपनों  को  सच  करने  की  चाहत  थी  मेरी
आस्मां  को  छूने  की  भी  आरजू  थी  मेरी
घरवालों  और  दोस्तों  को  छोड़ा  था  मैंने
टीवी  और  कंप्यूटर  से  भी  रिश्ता  तोडा  था  मैंने

खड़गपुर   आकर  अच्छा  लगने  लगाने था
मस्तियों  के  सागर  में  गोता  लगा  रहा  था
यहाँ  की  हरियाली  आँखों  को  भा  रही  थी
विशाल   भवन  भी  मन को  रिजाह  रहे  थे

पटेल   हॉल  था  मेरा  अगला  निवास
जिससे  दूर  रहने  का  करते  सारे  प्रयास
सबसे  अन्दर  सबसे  पुराना  था  वोह
अनुशाशन  और  सभ्यता  ही  चलता  यहाँ  पे

हमारे  बड़े  हमारा  ध्यान  थे  रखते
समय  आने  पर  सही  राह  भी  दिखाते
कोई  डरता  धमकता   तो  कोई  हँसता
तोह  कोई  मुश्किलों  में  भी  साथ  निभा   जाता

समाजों  का  मेल  लगा  रहता  यहाँ  पर
बह  जाओ  कहीं  भी  ले  जाये  जहाँ  मन
कुछ  तो   सीखोगे  ही  वादा  है  मेरा
अच्छा  समय  भी  बीत  जाएगा  तेरा

पता  नहीं  आगे  क्या  होगा  हमारा
हम  हसेंगे  या  हमपे  ये  संसार  सारा
पर  शायद  हम  दूसरों  से  अलग  हो  गए  हैं
मेहनत  के  बल  पर   खड़गपुर  जो    गए  हैं


ये शाम मस्तानी !!

आज मानो सूरज ने
चाँद को बुला लिया हो
क्षितिज पर लालिमा बिखेर
उसे अलविदा कह रहा हो
दोनों का ऐसे मिलना
कुछ अजीब जरूर लगता है
पर पंछियों की चेह्चाहाहत ने
शायद इसे रूमानी बना दिया हो
ये बादल भी आकृतियाँ बना
जैसे इन्हें तोहफे दे रहे हो
तारे भी जगमगा कर मानो
इनको जाने को कह रहे हो
दूर जगमगाती खिड़कियाँ भी
जैसे आसू बहा रही हो
ये काले पेड़ भी उनपर
रुकने का जादू कर रहे हो

MAA...!!!

दर्द तो बहुत हुआ होगा तुझको
इस दुनिया में लाना था मुझको
आँखे खुली तो कुछ डर सा गया
पर सबसे पहले पुकारा था तुझको
मेरी हर ख्वाहिश का ख्याल रखती तू
टिफ़िन में आलू के पराठे भी देती तू
नए पुराने दोस्तों से मिलवाती तू
कभी कभी तो मेरे लिए लड़ भी जाती तू
मेरी गलतियों को नज़रंदाज़ करते रहना
और यू ही सदा मुझसे प्यार करते रहना
माना बच्चा हूँ रुला सकता हूँ तुझको
पर हसने के लिए भी तैयार रहना
तेरे खाने के स्वाद को कभी नहीं भूलूंगा
तेरे साथ मस्तियो पर भी हँसा करूँगा
लगता है पिछले जन्म में कुछ अच्छा किया होगा
किस्मत से मिली है तू तेरा ख्याल रखूँगा ..

उड़ान ...!!

क्या हुआ जो दुसरो ने सहारा न दिया
पल भर ने ही हमको बेगाना कर दिया
खुद को खुश रखने की तम्मना है मेरी
आंधियो से भी लड़ने की आदत है मेरी


माना पर्वत की चोटी तक न जा पाएंगे
पर कुछ करने का सहस तो हम दिखायेंगे
जिन जिन लोगो ने दिल दुखाये है मेरे
उनके मुह पे चुप्पी तो जरुर लगा जायेंगे

क्या हुआ जो हम पराजित हो गए
बार बार हम कोशिश दोहराएंगे
मन अपना दिल तो टूट चूका होगा
पर टूटा दिल लेकर ही मैदान में कूद जायेंगे

ये दिल थोरा इन्तेजार कर ले
मेहनत पे भी तू कूछ ऐतबार कर ले
अपना भी वक़्त कभी तो आएगा
फूटा नसीब भी चमक जायेगा

अब डरने की इज्जाजत नहीं है तुझको
आंसू पीने की भी जरूरत नहीं है तुझको
किस राह में आज कांटे नहीं है होते
उनसे बच कर मंजिल को पाना है तुझको

सुना है ,नदी के पास कौन नहीं है जाता
ऊचे अम्बर को छुना कौन नहीं है चाहता
पर जो आत्मविश्वाश हो तुम्हारे साथ
तुम बढोगे ,कामयाबी लगेगी तुम्हारे हाथ...

MY ENTRY @ SPRING FEST'13

Us din jab mai din var ki sari classes attend karke jab room pahucha to dosto ne bataya ki ncc ka uniform issue ho raha hai.ek minute k liye to aisa laga ki aaj ki shaam barbad ho gayi.par kuch deer baad maine apne dil ko majboot kiya or socha ki chalo aaj is kaam ko v nipta hi lete hai.shaam ka naasta kar maine apni nayi cycle uthai or nikal pada ncc ke karyalaya ki oor Waise to mai akela hi tha par badalte nazare mera saath de rahe the.Suraj doob raha tha or ujale ko apne aagosh me le raha tha,sath hi sath chand apni muskurahat bikher raha tha..aaj mera dil kuch jada hi romanchit ho raha tha kyu ki kisi ne mujhe ncc karyalaya pahuchne ka naya raasta jo bataya diya tha or mujhe naye vatavaran me jhoomne ka ek or mauka mil gaya tha.mai tech market se hote hue gate no 2 se bahar nikalnewala tha.achanak badlo ne angraiya lena shuru kar diya,or mere man ko v kuch dara sa diya.par pata ni kyu mere man ne kuch panktiya bunna shuru kar diya or us shaam ko mastani kehne laga...

aaj mano suraj ne
chand ko bula liya ho
kshitiz pe laalima bikher
use alvida keh raha ho
dono ka aise milna
kuch ajib jaroor lagta h
par panchiyo ki chehchehahat ne
shayad ise rumani bana diya ho
ye badal bhi aakritiya bana
jaise inko tohfe de raha ho
taaare bhi jagmaga kar mano
inko jaane ko keh rahe hai
door jagmagati khidkiya bhi
jaise aansu baha rahi ho
or ye kaale ped bhi unpar
rookne ka jaado kar rahe ho..

mai jaldi jaldi me NCC office pahucha.shaam ke 6 baj chuke the aur aala adhikariyo ne kaha ki store band ho chuka hai,kal aana.sach poocho to thora gussa aaya par maine bola chalo koi baat ni hai jo hua so hua par maine apne campus ke do chaar rasto se jaan pehchaan to bana liya.man me inhi umango ko lekar mai wapas apne room ki oor nikal chala.thori hi door jab mai gate no.2 se apne campus ke andar aaya to dheemi dheemi barish shuru ho gayi.mera dil romanchit ho utha or mai cycle ko oor tej chalane laga.meri cycle to mera saath de rahi thi par shayad mera man mera saath ni de raha tha.mera man kal ki chintao ko chor aaj ko jhoomna chah raha tha.wo kal ki practical class ko chor aaj ke barish me bheengane ke maze ko anubhav karna chahta tha.fir maine ye nishchay kiya ki jo shanti,jo bhavna mujhe is shaam me mil sakti hai mai use khounga nahi.maine tech market se nikal kar apni cycle vikramshila ki taraf mod diya.ab meri cycle ki gati thori dheemi ho chuki thi.kuch hi door badha tha ki mother teresa hall aa gaya.waha khade kuch ladke ladkiya thori jaldi me the or ek dusre ko alvida keh rahe the,par maine jate jate un loogoo ke chehre par kal fir se milne ki choti si muskaan ko bhi samajh gaya.mai is campus me jada ni ghoom paya tha isliye maine socha ki vikramshila ke aage kya hai,or mai vikramshila ko  peeche chor aage nikal chala.aage jaane par maine krishi vibhag ko dekha par meri jigyasa avi khatam ni hui thi or mai oor aage badhta chala gaya.fir mai baye ghooma or thori door chalne ke baad ne ek suraksha jawan ne mujhe rooka.uske puchne par maine use bataya ki mai avi naya hu or bas ghoom raha tha.par i card na hone par usne mujhe lautne ko kaha jo maine maan liya.

mai laut raha tha.raat ho chuki thi,battiya jal chuki thi.mai us samay bheegi hui sadak par gire roshni ko dekh raha tha or thandi thandi hawao ka aanand le raha tha.maine nalanda acadmic complex ke board ko dekha or socha aaj ise v dekh hi liya jaye.maine apni cycle mod li.kuch door aage badhne ke baad jab mujhe kuch samajh me ni aaya to maine lautne ka man bana liya or U turn lekar lautne laga.tabhi ek akela suraksha jawan ne mujhe aawaz lagai.mai chauk gaya ki kahi mujhse kuch galti to ni ho gayi.par paas jane par pata chala ki wo main gate phas gaya hai use madad ki jarurat hai.maine nihsankoch uski madad kar di or usne badle me mujhe THANK YOU bola.mere chehre par choti si muskaan aa gayi.jab maine pucha ki ye NEHRU MUSEUM kaha hai to usne bataya ki wo rasayenic vibhag ke aage hai,par wo abhi band ho chuka hoga.maine cycle nikali or NEHRU MUSEUM ke chakkar lagane chal pada.waha khafi andhera tha or shunshaan bhi.lekin ab maine kam se kam NEHRU MUSEUM dekh liya tha.main ab apne room pahuch chuka tha.mere room me koi ni tha.mai bas is shaam ko apne dil se mehsus kar raha tha or bas ise mehsus kar raha tha...

माय लाइफ @ कोटा !!!

घर से निकले थे कामयाबियो को पाने के लिए
और मंजिलो ने हमें कोटा लाकर पंहुचा दिया
शुरू शुरू में नई उमंग नया जोश था तो
अपनों से दूर होने का थोरा रोष भी था .

नए दोस्त मिले ,नया घर मिला ,और नई महफिले मिली
पढाई का नया अंदाज़ भी गुरुओ से सिखने को मिला
अब चीज़े कुछ जादा ही समझ में आने लगी थी
शायद इसलिए भी हमारी पढाई कम होने लगी थी

समय के साथ साथ हम बदलने लगे थे और
पढाई कम ,हम मस्तियो में भी लिप्त होने लगे थे
अब किताबे कहा मन को भने वाले थे
अगले महीने अपने घर जो जाने वाले थे

घर आकर दिल को वापस से सुकून मिला और
कोटा के बिजी स्चेदुल से भी छुटकारा मिला
लेकिन माँ के आचल में कब तक हम छिप
कोटा वापस आने से कब तक हम बच पाते

फिर से शुरू हुई अपनी पढाई
देखते ही देखते साल लग आई
कुछ ही महीने बचे थे अपनी ज़िन्दगी बदलने को
और हमने भी पूरी तरह जोख डाला अपने को

होली के दिन सोचा रंगों की बारिश नहीं करेंगे
सिर्फ रंगों को देख कर ही मन को मना लेंगे
पर दोस्तों ने अच्छे से भिगो डाला
हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फेर डाला

अब फैसले की अंतिम घरी आ चुकी थी
माँ बाप और दोस्तों की उम्मेदे भी हमसे बढ़ चुकी थी
चैप्टर्स के रेविसिओन करते करते अब हम थक चुके थे
आल थे बेस्ट का रिप्लाई भी करते करते हम पाक चुके थे

एग्जाम ख़त्म हुए तो चैन की नींद आई
सो कर उठा तो मम्मी की याद सताई
ये दस महीने कुछ ऐसे गुजर गए
कुछ हम बदले ,कुछ दोस्त बदल गए

कोटा को हम यो भुला न पाएंगे
पता है ,मस्ती भरे ये दिन फिर नहीं आयेंगे
और कोटा ने जो भी तोफेह दिए है हमें
शायद उसकी कीमत कभी चूका न पाएंगे ........
थैंक्स अ लोट कोटा ...