Friday 21 August 2015

69th स्वतंत्रता दिवस एक CRY Volunteer की नज़र से..

स्वतंत्रता दिवस, हमारे कैंपस में लोग इसका इस्तेमाल काफी सोच समझ कर करते है.कुछ नींद के बेचैन कतरों को पलकों के किनारों पर विश्राम देते है तो कोई पढाई पूजा में दिन व्यतीत करता है, कुछ ऐसे ही लैपटॉप्स,फ़ोन पर पूरा दिन ज़ाया कर देते है तो कुछ थोड़े-बहुत बचे-खुचे स्वतंत्र महसूस करने झंडोत्तोलन में सम्मिलित, सरीख होने पहुंच जाते है.
पर कुछ ऐसे लोग भी होते है कैंपस में,जो सुबह उठकर स्नानादि कर के कुछ ३०-४० बच्चों का दिन बनाने निकल पड़ते है.वो है आई आई टी खड़गपुर के कराई सदस्य.अभी सूर्य की किरणें फलक पर गिर ही रही थी की हम कुछ लोग अराशिनी प्राथमिक विद्यालय के परिसर में कदम रख देते है.हमारा उद्देश्य था इस स्वतंत्रता दिवस को इनके लिए यादगार बनाना साथ ही साथ इन्हें कुछ सीखा के जाना और इनके चेहरे पर हँसी फेरना.शुरू में हमने उनके साथ स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया-झण्डोतोल्लंन किया, उनकी कविताएँ सुनी, भाषण सुना और तिरंगे को पुष्पांजलि अर्पित की.फिर बच्चों को "कोलाज" सिखाया और फिर हमारे सदस्यों के मदद से उन्होंने खुद से अपना कोलाज बनाया.किसी ने कमल तो किसी ने झंडा, किसी ने घर तो किसी ने नाव बनाया.फिर उसमें कागज़ के छोटे छोटे टुकड़ों को सहेज सहेज कर उसपर चिपकाया और एक सुन्दर सी और अनोखी आकृति बनाया.जो आशा के विपरीत था, की वो इतना सही बना पाएंगे सिर्फ एक बार के प्रयास में.हमने सिर्फ बातों से ही उनका अभिनन्दन नहीं किया बल्कि उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया साथ ही साथ सभी को चॉकलेट्स भी दिए ताकि कोई खुद को किसी से काम न समझे.एक पल तो ऐसा आया जब मुझे लगा की मेरा दिन सफल हो गया, एक बच्चा आकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे धन्यवाद करता है की मैंने उसके लिए इतना सब कुछ किया, उस नादान को क्या पता की उसकी ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी भी बसी हुई है.
अंत में सभी शिक्षकों ने हमे मिड-डे-मील के लिए आमंत्रित किया और खिचड़ी चोखे के साथ साथ आइस क्रीम भी थाली में पेश किया.हमने काफी चाव से खाने का आनंद लिया फिर बच्चों को फिर से आने का वादा कर के उनसे अलविदा लिया. 

Wednesday 19 August 2015

अतीत !!

एक साल हो गया पर ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो, हम खेलते कूदते, एक दूसरे को तंग करते रहते थे, मज़ाक उड़ाते रहते थे, छेड़ा करते थे, शबाशिया भी देते थे, एक दूसरे को समझते थे और बहुत प्यार करते थे. हाँ कुछ परेशानियाँ भी आई, कुछ को हमने मिलकर हराया, तो कुछ को हमने अकेले ही मिटा दिया.उस को तो कभी नहीं भूल सकते जिसने हमारा बीच के रिश्ते का अस्तित्व ही मिटा दिया.अब मुझे पता नहीं की किसकी गलती थी उसमे, मैंने उस परेशानी को छोटा समझा या तुमने विश्वास गवां दिया की मुझसे वो परेशानी हार मनेगी या नहीं. बहरहाल मैं बताना चाहूंगा की मैं अत्यधिक खुश हूँ की हम मिले, साथ में हसे, घूमे, खाए, और सबसे ज्यादा इस बात का तुम्हारा साथ मिला मुझे, जिसे मैं अंतिम साँस तक अपने दिलों और ज़हन में रखूँगा. आज भी कभी कभी कुछ देख कर चाहे वास्तविकता में या फिर फिल्मों में  या कही और जब मैं अपने दिनों को याद करता हूँ तो पता नहीं क्यों मेरे चेहरे पर एक चमक आ जाती है और होंठो पर मुस्कान, वही छोटी वाली मुस्कान, जिसकी वजह से मैं काफी चर्चा में रहता था.
गम है तो इस बात का तुम्हारी कोई खबर नहीं, वैसे अब मैं जान कर भी क्या करूँगा, शायद मैं उसका हक़दार नहीं.दिल चाहता है की तुम्हारी खोज खबर लूँ कही से, पर अपने लब्ज़ों से जो तुमपर मैंने प्राणबाण चलाये थे वो याद आ जाते है. हो सकता है वो अपना फ़र्ज़ निभा रहे हो, उस वजह के लिए, जिसके लिए मैंने वो बाण तुमपर दागे थे.
खैर, अब जो हुआ उसे मैं और तुम बदल तो नहीं सकते है.इतना जरूर दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूँ की हम दोनों इस एक साल में बदल तो चुके ही होंगे, अपनी गलतियों से कुछ सीखे होंगे,उन्हें आगे जीवन में उपयोग में लाएंगे और पहले से बेहतर इंसान भी बन चुके होंगे .तुम्हारे लिए तो कल भी भला सोचता था और आज कल से भी ज्यादा.अंत में इतना जरूर कहूँगा की अपने चेहरे की हँसी बनाये रखने और दिल में दीप जलाये रखना. 

Saturday 15 August 2015

एक नज़र !!

बादलों को पर्वतों पर,
टूटते देखा है मैंने
सूरज को आसमान में,
डूबते देखा है मैंने
पंछियों को हवाओं में,
तैरते देखा है मैंने
गर्मियों में फतिंगों को,
जलते देखा है मैंने
रौशनी को पत्तों पर,
बिखरते देखा है मैंने
दोस्तों को वक़्त पर,
रंग बदलते देखा है मैंने
माँ को सबसे छुपकर,
रोते भी देखा है मैंने
बहना को चैन की नींद,
सोते देखा है मैंने
बच्चों को दूसरों से छिपकर,
पढ़ते देखा है मैंने
सच बोलने वालों को भी,
नज़रे चुराते देखा है मैंने...