स्वतंत्रता दिवस, हमारे कैंपस में लोग इसका इस्तेमाल काफी सोच समझ कर करते है.कुछ नींद के बेचैन कतरों को पलकों के किनारों पर विश्राम देते है तो कोई पढाई पूजा में दिन व्यतीत करता है, कुछ ऐसे ही लैपटॉप्स,फ़ोन पर पूरा दिन ज़ाया कर देते है तो कुछ थोड़े-बहुत बचे-खुचे स्वतंत्र महसूस करने झंडोत्तोलन में सम्मिलित, सरीख होने पहुंच जाते है.
पर कुछ ऐसे लोग भी होते है कैंपस में,जो सुबह उठकर स्नानादि कर के कुछ ३०-४० बच्चों का दिन बनाने निकल पड़ते है.वो है आई आई टी खड़गपुर के कराई सदस्य.अभी सूर्य की किरणें फलक पर गिर ही रही थी की हम कुछ लोग अराशिनी प्राथमिक विद्यालय के परिसर में कदम रख देते है.हमारा उद्देश्य था इस स्वतंत्रता दिवस को इनके लिए यादगार बनाना साथ ही साथ इन्हें कुछ सीखा के जाना और इनके चेहरे पर हँसी फेरना.शुरू में हमने उनके साथ स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया-झण्डोतोल्लंन किया, उनकी कविताएँ सुनी, भाषण सुना और तिरंगे को पुष्पांजलि अर्पित की.फिर बच्चों को "कोलाज" सिखाया और फिर हमारे सदस्यों के मदद से उन्होंने खुद से अपना कोलाज बनाया.किसी ने कमल तो किसी ने झंडा, किसी ने घर तो किसी ने नाव बनाया.फिर उसमें कागज़ के छोटे छोटे टुकड़ों को सहेज सहेज कर उसपर चिपकाया और एक सुन्दर सी और अनोखी आकृति बनाया.जो आशा के विपरीत था, की वो इतना सही बना पाएंगे सिर्फ एक बार के प्रयास में.हमने सिर्फ बातों से ही उनका अभिनन्दन नहीं किया बल्कि उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया साथ ही साथ सभी को चॉकलेट्स भी दिए ताकि कोई खुद को किसी से काम न समझे.एक पल तो ऐसा आया जब मुझे लगा की मेरा दिन सफल हो गया, एक बच्चा आकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे धन्यवाद करता है की मैंने उसके लिए इतना सब कुछ किया, उस नादान को क्या पता की उसकी ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी भी बसी हुई है.
अंत में सभी शिक्षकों ने हमे मिड-डे-मील के लिए आमंत्रित किया और खिचड़ी चोखे के साथ साथ आइस क्रीम भी थाली में पेश किया.हमने काफी चाव से खाने का आनंद लिया फिर बच्चों को फिर से आने का वादा कर के उनसे अलविदा लिया.
पर कुछ ऐसे लोग भी होते है कैंपस में,जो सुबह उठकर स्नानादि कर के कुछ ३०-४० बच्चों का दिन बनाने निकल पड़ते है.वो है आई आई टी खड़गपुर के कराई सदस्य.अभी सूर्य की किरणें फलक पर गिर ही रही थी की हम कुछ लोग अराशिनी प्राथमिक विद्यालय के परिसर में कदम रख देते है.हमारा उद्देश्य था इस स्वतंत्रता दिवस को इनके लिए यादगार बनाना साथ ही साथ इन्हें कुछ सीखा के जाना और इनके चेहरे पर हँसी फेरना.शुरू में हमने उनके साथ स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया-झण्डोतोल्लंन किया, उनकी कविताएँ सुनी, भाषण सुना और तिरंगे को पुष्पांजलि अर्पित की.फिर बच्चों को "कोलाज" सिखाया और फिर हमारे सदस्यों के मदद से उन्होंने खुद से अपना कोलाज बनाया.किसी ने कमल तो किसी ने झंडा, किसी ने घर तो किसी ने नाव बनाया.फिर उसमें कागज़ के छोटे छोटे टुकड़ों को सहेज सहेज कर उसपर चिपकाया और एक सुन्दर सी और अनोखी आकृति बनाया.जो आशा के विपरीत था, की वो इतना सही बना पाएंगे सिर्फ एक बार के प्रयास में.हमने सिर्फ बातों से ही उनका अभिनन्दन नहीं किया बल्कि उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया साथ ही साथ सभी को चॉकलेट्स भी दिए ताकि कोई खुद को किसी से काम न समझे.एक पल तो ऐसा आया जब मुझे लगा की मेरा दिन सफल हो गया, एक बच्चा आकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे धन्यवाद करता है की मैंने उसके लिए इतना सब कुछ किया, उस नादान को क्या पता की उसकी ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी भी बसी हुई है.
अंत में सभी शिक्षकों ने हमे मिड-डे-मील के लिए आमंत्रित किया और खिचड़ी चोखे के साथ साथ आइस क्रीम भी थाली में पेश किया.हमने काफी चाव से खाने का आनंद लिया फिर बच्चों को फिर से आने का वादा कर के उनसे अलविदा लिया.
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