बादलों को पर्वतों पर,
टूटते देखा है मैंने
सूरज को आसमान में,
डूबते देखा है मैंने
पंछियों को हवाओं में,
तैरते देखा है मैंने
गर्मियों में फतिंगों को,
जलते देखा है मैंने
रौशनी को पत्तों पर,
बिखरते देखा है मैंने
दोस्तों को वक़्त पर,
रंग बदलते देखा है मैंने
माँ को सबसे छुपकर,
रोते भी देखा है मैंने
बहना को चैन की नींद,
सोते देखा है मैंने
बच्चों को दूसरों से छिपकर,
पढ़ते देखा है मैंने
सच बोलने वालों को भी,
नज़रे चुराते देखा है मैंने...
टूटते देखा है मैंने
सूरज को आसमान में,
डूबते देखा है मैंने
पंछियों को हवाओं में,
तैरते देखा है मैंने
गर्मियों में फतिंगों को,
जलते देखा है मैंने
रौशनी को पत्तों पर,
बिखरते देखा है मैंने
दोस्तों को वक़्त पर,
रंग बदलते देखा है मैंने
माँ को सबसे छुपकर,
रोते भी देखा है मैंने
बहना को चैन की नींद,
सोते देखा है मैंने
बच्चों को दूसरों से छिपकर,
पढ़ते देखा है मैंने
सच बोलने वालों को भी,
नज़रे चुराते देखा है मैंने...
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