तुम एक नदी की तरह हो जो न कभी रुकने का नाम लेती है,न कभी थमने का,बस मीलों दूर बहना चाहती है.रास्ते में चाहे कितना विशाल पर्वत ही क्यों न आ जाये तुम बाज़ नहीं आती,उसे भी चीर कर अपने रास्ता बना लेती हो.राह में न जाने कितनों को अपने प्यार से भिगोई अमृत पिलाती हो,उनकी प्यास बुझती हो.कभी किसी की मदद करने से नहीं कतराती,यहाँ तक की भूले पथिक को भी खुद मद्धम होकर रास्ता पार कराती.लोग तुम्हें चाहे कितनी भी पीड़ा दे दे,तुम्हें चाहे कितना भी विषाक्त क्यों न कर दे,तुम अपना रंग नहीं बदलती,हँसकर इठलाती हुई बस उस दर्द को खुद में समेट लेती हो.
पर तुम्हारा दर्द कौन समझेगा..शायद सागर जो तुम्हें खुद में विलीन करने के इंतज़ार में कब से शांत बैठा हुआ है.तुम्हारा हर दर्द.तुम्हारा हर घाव भरने के लिए आतुर है,सारे रंग रंगीले फूलों को तुमसे मिलवाने के लिए सपने सजा रखे है.उसे इंतज़ार है तो बस तुम्हारा..
तुम बस बहती रहना,बिना किसी चिंता के,क्युकी कोई है जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है,तुमसे मिलने के लिए,तुम्हें खुद के रंग में रंगने के लिए,तुम्हें प्यार करने के लिए,तुम्हें खुद से जोड़ने के लिए.बस तुम थकना नहीं,खुद पर विश्वास रखना और बहती चली जाना..बस बहती चली जाना...
पर तुम्हारा दर्द कौन समझेगा..शायद सागर जो तुम्हें खुद में विलीन करने के इंतज़ार में कब से शांत बैठा हुआ है.तुम्हारा हर दर्द.तुम्हारा हर घाव भरने के लिए आतुर है,सारे रंग रंगीले फूलों को तुमसे मिलवाने के लिए सपने सजा रखे है.उसे इंतज़ार है तो बस तुम्हारा..
तुम बस बहती रहना,बिना किसी चिंता के,क्युकी कोई है जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है,तुमसे मिलने के लिए,तुम्हें खुद के रंग में रंगने के लिए,तुम्हें प्यार करने के लिए,तुम्हें खुद से जोड़ने के लिए.बस तुम थकना नहीं,खुद पर विश्वास रखना और बहती चली जाना..बस बहती चली जाना...