Tuesday 16 September 2014

उड़ान ...!!

क्या हुआ जो दुसरो ने सहारा न दिया
पल भर ने ही हमको बेगाना कर दिया
खुद को खुश रखने की तम्मना है मेरी
आंधियो से भी लड़ने की आदत है मेरी


माना पर्वत की चोटी तक न जा पाएंगे
पर कुछ करने का सहस तो हम दिखायेंगे
जिन जिन लोगो ने दिल दुखाये है मेरे
उनके मुह पे चुप्पी तो जरुर लगा जायेंगे

क्या हुआ जो हम पराजित हो गए
बार बार हम कोशिश दोहराएंगे
मन अपना दिल तो टूट चूका होगा
पर टूटा दिल लेकर ही मैदान में कूद जायेंगे

ये दिल थोरा इन्तेजार कर ले
मेहनत पे भी तू कूछ ऐतबार कर ले
अपना भी वक़्त कभी तो आएगा
फूटा नसीब भी चमक जायेगा

अब डरने की इज्जाजत नहीं है तुझको
आंसू पीने की भी जरूरत नहीं है तुझको
किस राह में आज कांटे नहीं है होते
उनसे बच कर मंजिल को पाना है तुझको

सुना है ,नदी के पास कौन नहीं है जाता
ऊचे अम्बर को छुना कौन नहीं है चाहता
पर जो आत्मविश्वाश हो तुम्हारे साथ
तुम बढोगे ,कामयाबी लगेगी तुम्हारे हाथ...

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