Tuesday 16 September 2014

माय लाइफ @ कोटा !!!

घर से निकले थे कामयाबियो को पाने के लिए
और मंजिलो ने हमें कोटा लाकर पंहुचा दिया
शुरू शुरू में नई उमंग नया जोश था तो
अपनों से दूर होने का थोरा रोष भी था .

नए दोस्त मिले ,नया घर मिला ,और नई महफिले मिली
पढाई का नया अंदाज़ भी गुरुओ से सिखने को मिला
अब चीज़े कुछ जादा ही समझ में आने लगी थी
शायद इसलिए भी हमारी पढाई कम होने लगी थी

समय के साथ साथ हम बदलने लगे थे और
पढाई कम ,हम मस्तियो में भी लिप्त होने लगे थे
अब किताबे कहा मन को भने वाले थे
अगले महीने अपने घर जो जाने वाले थे

घर आकर दिल को वापस से सुकून मिला और
कोटा के बिजी स्चेदुल से भी छुटकारा मिला
लेकिन माँ के आचल में कब तक हम छिप
कोटा वापस आने से कब तक हम बच पाते

फिर से शुरू हुई अपनी पढाई
देखते ही देखते साल लग आई
कुछ ही महीने बचे थे अपनी ज़िन्दगी बदलने को
और हमने भी पूरी तरह जोख डाला अपने को

होली के दिन सोचा रंगों की बारिश नहीं करेंगे
सिर्फ रंगों को देख कर ही मन को मना लेंगे
पर दोस्तों ने अच्छे से भिगो डाला
हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फेर डाला

अब फैसले की अंतिम घरी आ चुकी थी
माँ बाप और दोस्तों की उम्मेदे भी हमसे बढ़ चुकी थी
चैप्टर्स के रेविसिओन करते करते अब हम थक चुके थे
आल थे बेस्ट का रिप्लाई भी करते करते हम पाक चुके थे

एग्जाम ख़त्म हुए तो चैन की नींद आई
सो कर उठा तो मम्मी की याद सताई
ये दस महीने कुछ ऐसे गुजर गए
कुछ हम बदले ,कुछ दोस्त बदल गए

कोटा को हम यो भुला न पाएंगे
पता है ,मस्ती भरे ये दिन फिर नहीं आयेंगे
और कोटा ने जो भी तोफेह दिए है हमें
शायद उसकी कीमत कभी चूका न पाएंगे ........
थैंक्स अ लोट कोटा ...

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