सपनों
को
सच
करने
की
चाहत
थी
मेरी
आस्मां को छूने की भी आरजू थी मेरी
घरवालों और दोस्तों को छोड़ा था मैंने
टीवी और कंप्यूटर से भी रिश्ता तोडा था मैंने
खड़गपुर आकर अच्छा लगने लगाने था
मस्तियों के सागर में गोता लगा रहा था
यहाँ की हरियाली आँखों को भा रही थी
विशाल भवन भी मन को रिजाह रहे थे
पटेल हॉल था मेरा अगला निवास
जिससे दूर रहने का करते सारे प्रयास
सबसे अन्दर सबसे पुराना था वोह
अनुशाशन और सभ्यता ही चलता यहाँ पे
हमारे बड़े हमारा ध्यान थे रखते
समय आने पर सही राह भी दिखाते
कोई डरता धमकता तो कोई हँसता
तोह कोई मुश्किलों में भी साथ निभा जाता
समाजों का मेल लगा रहता यहाँ पर
बह जाओ कहीं भी ले जाये जहाँ मन
कुछ तो सीखोगे ही वादा है मेरा
अच्छा समय भी बीत जाएगा तेरा
पता नहीं आगे क्या होगा हमारा
हम हसेंगे या हमपे ये संसार सारा
पर शायद हम दूसरों से अलग हो गए हैं
मेहनत के बल पर खड़गपुर जो आ गए हैं
आस्मां को छूने की भी आरजू थी मेरी
घरवालों और दोस्तों को छोड़ा था मैंने
टीवी और कंप्यूटर से भी रिश्ता तोडा था मैंने
खड़गपुर आकर अच्छा लगने लगाने था
मस्तियों के सागर में गोता लगा रहा था
यहाँ की हरियाली आँखों को भा रही थी
विशाल भवन भी मन को रिजाह रहे थे
पटेल हॉल था मेरा अगला निवास
जिससे दूर रहने का करते सारे प्रयास
सबसे अन्दर सबसे पुराना था वोह
अनुशाशन और सभ्यता ही चलता यहाँ पे
हमारे बड़े हमारा ध्यान थे रखते
समय आने पर सही राह भी दिखाते
कोई डरता धमकता तो कोई हँसता
तोह कोई मुश्किलों में भी साथ निभा जाता
समाजों का मेल लगा रहता यहाँ पर
बह जाओ कहीं भी ले जाये जहाँ मन
कुछ तो सीखोगे ही वादा है मेरा
अच्छा समय भी बीत जाएगा तेरा
पता नहीं आगे क्या होगा हमारा
हम हसेंगे या हमपे ये संसार सारा
पर शायद हम दूसरों से अलग हो गए हैं
मेहनत के बल पर खड़गपुर जो आ गए हैं
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