Monday 6 February 2017

संघर्ष

ईश्वर ने किस तरह से इंसान को बनाया है न. हमे दिल और दिमाग दोनों दिए है. दिल की करामातों की सजा दिमाग को भुगतनी पड़ती है और जो दिमाग करने को कहता है वहाँ दिल ही नहीं लगता है. दिल कहता है हवा में तैरूं तो दिमाग होने वाले शारीरिक दर्द की ख़याल दिलाता है. दिल कहता है की कही निकल चले बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे तो दिल समय और पैसे की तंगी की ओर इशारा करता है. दिल कहता है की किसी से दिल लगा लो तो दिमाग कहता है की अभी अपना मुकाम हासिल कर लो.

मैंने ऐसा पाया है की जिन लोगो का दिमाग उनके दिल पर राज़ करता है वो आगे तो बढ़ जाते है पर वो अकेले होते है उनके साथ खुशिया बाँटने के लिए कम लोग होते है और जो लोग दिल लगा बैठते है वो भी आगे बढ़ते है पर धीरे धीरे रुकते हुए,गिरते हुए, सँभलते हुए. इस बात से हमे यह नहीं समझ लेना चाइये की कोई भी गलत है. दोनों की अपनी अपनी तरीके है अपनी ज़िन्दगी जीने के. किसी को सफलता पसंद है तो किसी को सफलता के रस्ते पर आराम से चलना सफलता से ज्यादा पसंद है. हमे एक दूसरे की कदर करनी चाहिए.

हमे इस बात की कोशिश करनी चाइये की हम अपना दिल वहाँ लगाए जहाँ दिमाग बोले या फिर दिमाग वहाँ लगाए जिस तरफ दिल ले जाए. मुझे ऐसा लगता है की इस दोनों परिस्थितियों में हमारे सफलता के सम्भावना ज्यादा होती है. 

1 comment:

  1. One of the best posts i have come across all your blogs, beautifully written with nice blend of thoughts :)

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