क्या होता है जब आपका कोई ख़ास, जिनके लिए आप कुछ भी कर सकते है हर वक़्त आप उपलब्ध रहते है चाहे वो कोई भी वक़्त क्यों न हो, एक नयी ज़िन्दगी जीना शुरू करता है ? शुरू शुरू में उसे कई परेशानियां होती है, जहाँ आप हर बार उसकी मदद करने से नहीं कतराते, धीरे धीरे फिर वो संतुलित हो जाते है उस पर्यावरण में. उसे नयी ज़िन्दगी मिलती है, नए लोग, नयी जगह, नए दोस्त और नए दुश्मन भी. क्या इसमें उनलोगों का कोई हाथ नहीं जिन्होंहे उन्हें वह पहुचने में उनको मदद की? हर कदम पर उनके साथ रहे, उनकी मदद की और उन्हें बढ़ावा भी दिया और बदले में उन्हें क्या मिला ? सिर्फ इंतज़ार !!!
वो नए लोगो के साथ इस कदर मिल जुल जाते है की उन्हें पुरानों की कोई चिंता ही नहीं. मैं ये नहीं कहता हूँ की आप अपनी ज़िन्दगी मत जियो पर उन लोगो को नज़रअंदाज़ मत कर दिया करो जिनका प्यार और स्नेह से आप यहाँ तक पहुँचे है. वैसे लोग बहुत मिलेंगे जो आएंगे, मज़े लेंगे और चले जायेंगे पर वो लोग हमेशा साथ रहेंगे जो आपको तहे दिल से चाहते है, आपकी क़द्र करते है, आपको सदा आगे बढ़ते हुए देखना चाहते है और आपको उसके लिए प्रेरित भी करते है अगर आप उन्हें अगर अपना थोड़ा सा भी वक़्त नहीं दे सकते हो तो यह ज्यादा बेहतर होगा की आप ये कबूल कर लो की आप उनके लायक नहीं है. मेरा व्यक्तिगत ये मानना है की हर इंसान में ये कला होनी चाहिए, अगर नहीं है तो सीखनी चाहिए, की वो सबको मिला कर रखे..नए दोस्तों और लोगो के साथ तो वो दिन का ज्यादातर वक़्त गुज़ार ही देते है पर उन्हें अपने दिन का थोड़ा सा हिस्सा पुराने लोगों के लिए भी रखना चाहिए क्योंकि जिस तरह नए लोग महत्वपूर्ण है वैसे ही पुराने दोस्त भी तो ख़ास है !!
वो नए लोगो के साथ इस कदर मिल जुल जाते है की उन्हें पुरानों की कोई चिंता ही नहीं. मैं ये नहीं कहता हूँ की आप अपनी ज़िन्दगी मत जियो पर उन लोगो को नज़रअंदाज़ मत कर दिया करो जिनका प्यार और स्नेह से आप यहाँ तक पहुँचे है. वैसे लोग बहुत मिलेंगे जो आएंगे, मज़े लेंगे और चले जायेंगे पर वो लोग हमेशा साथ रहेंगे जो आपको तहे दिल से चाहते है, आपकी क़द्र करते है, आपको सदा आगे बढ़ते हुए देखना चाहते है और आपको उसके लिए प्रेरित भी करते है अगर आप उन्हें अगर अपना थोड़ा सा भी वक़्त नहीं दे सकते हो तो यह ज्यादा बेहतर होगा की आप ये कबूल कर लो की आप उनके लायक नहीं है. मेरा व्यक्तिगत ये मानना है की हर इंसान में ये कला होनी चाहिए, अगर नहीं है तो सीखनी चाहिए, की वो सबको मिला कर रखे..नए दोस्तों और लोगो के साथ तो वो दिन का ज्यादातर वक़्त गुज़ार ही देते है पर उन्हें अपने दिन का थोड़ा सा हिस्सा पुराने लोगों के लिए भी रखना चाहिए क्योंकि जिस तरह नए लोग महत्वपूर्ण है वैसे ही पुराने दोस्त भी तो ख़ास है !!
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