Thursday 24 August 2017

अजनबी तुम अजनबी हम !!


अब तो एक ऐसा दौर आ गया है
जब हम एक दूसरे की ओर देखना भी नहीं चाहते
तुम शायद आगे निकल गए हो ज़िन्दगी के दौर में
या शायद मैं पीछे छूट गया हूँ इस सफर में
ऐसे करवा में हो गए..कुछ अजनबी तुम अजनबी हम

तुमसे बातें किये बिना कल तक दिन पूरा नहीं होता था
आज तुमसे बातें करने को बातें नहीं होती
तुम कुछ बताती नहीं और मेरी बातें सुन्ना नहीं चाहती
मुझ से ज्यादा तो तुम अपने दोस्तों का साथ पसंद हो करती
इसी सन्नाटे में होते जा रहे..कुछ अजनबी तुम कुछ अजनबी हम

जानता हूँ मैं की हम दूर थे पर शायद हमारे दिल करीब थे
वक़्त के सैलाब ने लेकिन सब कुछ उथल पुथल कर दिया
मैं खुद को जितना संभल रहा था तुम उतना और गिरते जा रही थी
मैं जितना पास आने की कोशिश कर रहा था तुम उतना दूर जा रही थी
ऐसे ही हालात में हो रहे थे..कुछ अजनबी तुम कुछ अजनबी हम

एक लम्बा अरसा हो गया है तुमसे बात किये हुए
वक़्त मिले तो हमारा ख्याल कर लेना अपने इस व्यस्त सफर में
पता हैं मुझे.. की और लोग भी है तुम्हारे पास इस कतार में
याद करना वो लम्हा जब तुम ही तुम थी मेरी कतार में
इसी भाग दौर में हो रहे..कुछ अजनबी हम कुछ अजनबी तुम



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