Tuesday 17 February 2015

स्प्रिंग फेस्ट'15

कॉलेज में बाहर के दोस्तों के साथ वक़्त बिताने का मौका बार बार नहीं मिलता.पर इस बार मुझे भी ऐसे ही कुछ मौका मिल गया था.मैं शुरू से सोचता था कि स्प्रिंग फेस्ट में होता क्या है लड़कियों को ताड़ने के अलावा पर ताड़ने का मज़ा और भी बढ़ जाता है जब आपके साथ आपके दोस्त हो.मेरे साथ भी इस बार ऐसा ही कुछ हुआ.बहार से मेरे कुछ दोस्त आये हुए थे.वो तो मेरे कमरे में ही ठहर रहे थे पर मुशीबत तब आई जब मुझे पता चला कि दोस्तों में एक अनजान लड़की भी है जिसके मैंने पहले काफी चर्चे तो सुने थे पर मिला नहीं था.बड़ी मुस्श्कत के बाद मैंने किसी तरह उसके यहाँ रुकने का इंतज़ाम करवाया.धन्यवाद हो प्रियंका का जिसने सही वक़्त पर मेरी मदद कर दी और मेरी लाज बचायी.वैसे उन्होंने सोचा तो बिलकुल भी नहीं होगा कि मैं साइकिल से मिलने पहुँचूँगा पर फिर भी अगर उन्हें थोड़ा अजीब लगा भी हो तो लगने दिया जाए आखिर कार वो खड़गपुर जो आये थे.
हमलोगों ने इंडियन ओसियन बैंड के कुछ गाने सुने और बीच में ही निकल गए.खाना खाने के बाद थोड़ा घूम ही रहे थे कि क्रिकेट वालों की मीटिंग का कॉल आ गया है.मीटिंग के बाद मैं उनसे फिर से मिला और कुछ बात चीत के बाद मैंने उन्हें आराम देने का फैसला लिया.रात को बातें करते करते कब २:३० बज गए पता ही नहीं चला.
अगले दिन पांच परमेश्वर के लिए सुबह ही निकलना था तो मैंने सरस्वती पूजा का प्रशाद खा कर निकलना उचित समझा.सारा दिन एरीना में पसीना बहाने के बाद जब शाम में फ़्लवोर्स में डांस किया तब जाकर दिन कि सारी थकान मिटी और वापस आ कर फिर से उन्हीं दोस्तों के साथ सुबह के ३ बजे तक बीच सड़क पर उनके साथ घूमना,गप्पे और हसी मज़ाक सब कुछ कीमती लग रहा था मेरे लिए.रजत कि तो मारते मारते मैं खुद भी थक गया था.बेचारा !! जब वो चले गए तो पता नहीं स्प्रिंग फेस्ट का अगला दिन काफी खली खली लग रहा था ऐसा मानो उस दिन साधारण क्लासेज चल रही हो.फिर बाद में मैं खुदको बहुत कोश रहा था कि मुझे उनको और वक़्त देना चाहिए था.शायद मैं समय का संतुलन बनाने में असफल हो गया था.पर जो भी हुआ अच्छा ही हुआ.आशा करता हूँ की वो दुबारा यहाँ आये .उस एक दिन में मैंने काफी लम्बी ज़िन्दगी जी.उस दिन तो वो एक दिन भी छोटा पड़ गया था.उम्मीद करता हूँ ज़िन्दगी आगे भी ऐसे हसीं और यादगार लम्हों से मुलाकात कराने की ज़ुर्रत करते रहेगी.

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