लोग कहते हैं की मुंबई सपनों का शहर है.यहाँ लोग अनेकों सपने लेकर आते हैं.कोई बॉलीवुड में अपनी किस्मत आज़माने आता है तो कोई अपने बच्चों का पेट पलने की उम्मीद लगाये,कोई अपना भविष्य सवारने आता है तो कोई पापा के कारोबार को आगे बढ़ने.सबके अपने अपने सपने होते हैं जिसे वो अपने तरीके से पूरा करना चाहते है.कुछ लोग सफल होते है तो कुछ नहीं और कुछ तो सपनों की इस मायानगरी के दिखावे का शिकार हो जाते हैं.
पर एक और वैसे लोग भी होते हैं जिनके सपनें बस सपनें ही रह जाते हैं.कभी वक़्त साथ नहीं देता तो कभी पैसे और अगर गलती से ये दोनों साथ भी दें जाए तो हालत साथ नहीं देता.कभी कभी तो अचानक वो कारण ही तबाह हो जाते है जिसे पूरा करने की सोच वो मुंबई जाने के सपनें संजोते है.उनके हौसले जिनमें पहले पंख लगे होते है धीरे धीरे उन्हीं पंखो में जंग लग जाती है और उनका सपना बस सपना ही रह जाता है मुंबई जाने का
पर एक और वैसे लोग भी होते हैं जिनके सपनें बस सपनें ही रह जाते हैं.कभी वक़्त साथ नहीं देता तो कभी पैसे और अगर गलती से ये दोनों साथ भी दें जाए तो हालत साथ नहीं देता.कभी कभी तो अचानक वो कारण ही तबाह हो जाते है जिसे पूरा करने की सोच वो मुंबई जाने के सपनें संजोते है.उनके हौसले जिनमें पहले पंख लगे होते है धीरे धीरे उन्हीं पंखो में जंग लग जाती है और उनका सपना बस सपना ही रह जाता है मुंबई जाने का
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